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Sunday, October 29, 2017

ओ देव साँवरा




ओ  देव साँवरा , थां उठ ने कईं करो ;
शरद री शीत है, थां उठ ने कईं करो !

देख जो मति कालो कालो आकाश ;
थां तो कर्यो नी  थां उठ ने कईं करो !

कोई सूरज नी देखे , थांको कई दोस ;
सब रा काम वे है थां उठ ने कईं करो !

कादो घणों फैल्यो गाम ने शेहर में ;
गोड़ा गोड़ा डूब्या थां उठ ने कईं करो !

बात बात  उबले आंख्यां लोई उतरयो ;
थोड़ीक सी बात है थां उठ ने कईं करो !

करम घाणी निकल्यो मनखां रो तेल ;
आप आपरा करम थां उठ ने कईं करो !

आप को ही परसाद ने आपकी आरती ; 
आप ''तनु '' सोवे उठे थां उठ ने कईं करो !!... ''तनु ''

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