ओ देव साँवरा , थां उठ ने कईं करो ;
शरद री शीत है, थां उठ ने कईं करो !
देख जो मति कालो कालो आकाश ;
थां तो कर्यो नी थां उठ ने कईं करो !
कोई सूरज नी देखे , थांको कई दोस ;
सब रा काम वे है थां उठ ने कईं करो !
कादो घणों फैल्यो गाम ने शेहर में ;
गोड़ा गोड़ा डूब्या थां उठ ने कईं करो !
बात बात उबले आंख्यां लोई उतरयो ;
थोड़ीक सी बात है थां उठ ने कईं करो !
करम घाणी निकल्यो मनखां रो तेल ;
आप आपरा करम थां उठ ने कईं करो !
आप को ही परसाद ने आपकी आरती ;
आप ''तनु '' सोवे उठे थां उठ ने कईं करो !!... ''तनु ''
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