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Saturday, October 28, 2017

दिल की अपनी सुना रहा है ;






हमारे दिल की जो न समझा  दिल की अपनी सुना रहा है ;
कभी जिंदगी का बना सहारा वो अभी हमारा कहाँ रहा है !

कभी तलाशता चाँदनी को  कभी बहारों से बात करता ,,
परछाइयों के शहर बनाकर ,, वो चराग़ झूठे जला रहा है !

ख्याल कितने किसे खबर है,  सभी दायरे अब टूटते हैं ;
बुतों की दुनिया जहां पराया  सायो के पैकर बना रहा है !!... ''तनु ''


 


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