आह भरना जरुरी है क्या अब ?
ज़िन्दगी ने तुम्हें दे ही दिया सब
चाहतें पूरी हुई बिना माँगे ;
रौशन हो गया है दीया जब !
बे-सुतूँ घर कहाँ रहा तुम्हारा ??
दे यहाँ मुकाम बना है ठीया रब , ,,
पैबन्दों से जुदा हुए पैरहन ;
थेगलों को सभी है सीया तब !
बोल दो ''तनु'' नवाज़िश शुक्रिया ;
तुम नहीं , जी उसी का है किया सब !! .... ''तनु ''
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