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Friday, October 6, 2017

क्यों हैं ?





ऐसे कठिन सवालात दिल में उठते क्यों हैं ?
ये फिर और ख़यालात  दिल में उठते क्यों हैं??

 कहीं चमन उजड़ कर सहरा न बन जाए ,
 बेवजह से ये सदमात दिल में उठते क्यों हैं ?

खूब नागवार गुज़रे अब तो दर्दे ग़म मेरे लिए ;
 ये कातिलाना जुल्मात दिल में उठते क्यों हैं ?

कोई नक्श उभरे फिर हर्फ़े तमन्ना बन जाए ;
ऐसे मासूम से जज़्बात दिल में उठते क्यों हैं?

ना जाने कब कतरा दर्दे दरिया बन जाये ,
सवाल बेइम्तियाज दिल में उठते क्यों हैं ?

या परवरदिगार मेरे दिल की रुत बदल दे ;
''तनु'' शोरिश-ए-हयात दिल में उठते क्यों हैं ?? ... ''तनु ''








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