चाँद की तरफ नज़र उठाई मैंने ;
आइना देख नज़र झुकाई मैंने !
दिल के सुकूँ को आजमाया है ;
उसकी हर ज़फ़ा निभाई मैंने !
सलाम को मेरे अनदेखा किया ;
बे-गानगी -ए -दोस्त भुलाई मैंने !
तू मुझे देख मैं दुनिया देख लूँ ;
कैसे ज़र्रे से दुनिया बनाई मैंने !
चाँद से शुरू हुई हर बात में तू ;
शबे हिज़्र , उम्मीद ए सहर बुलाई मैंने !.. ''तनु''
चाँद से शुरू हुई हर बात में तू ;
शबे हिज़्र , उम्मीद ए सहर बुलाई मैंने !.. ''तनु''
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