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Thursday, October 5, 2017

उम्मीद ए सहर






चाँद की तरफ नज़र उठाई मैंने ;
आइना देख  नज़र झुकाई मैंने !

दिल के सुकूँ को आजमाया है ;
 उसकी  हर ज़फ़ा निभाई मैंने !

सलाम को मेरे अनदेखा किया ;
बे-गानगी -ए -दोस्त भुलाई मैंने !

तू मुझे देख मैं दुनिया देख लूँ ;
कैसे ज़र्रे से दुनिया बनाई मैंने !

चाँद से शुरू हुई हर बात में तू ;
शबे हिज़्र , उम्मीद ए सहर बुलाई मैंने !.. ''तनु''








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