आह भरना जरुरी है क्या अब ?
मैं ही मैं रहूँ खुदा है ज़िया अब !
चाहतें माँगे बिना हुई पूरी;
रौशनी है जल गया दीया जब!
बे-सुतूँ घर कहाँ रहा तुम्हारा ;
दे यहाँ मुकाम बना है ठीया रब !
पैरहन से जुदा हुए पैबंद ;
थेगलों को सभी है सीया तब !
बोल दीजिये नवाज़िश शुक्रिया ;
तुम नहीं , जी उसी का है किया सब !
एक भी मिसरा लिखा नहीं मेरा ;
प्यार लिखकर इश्क है जिया अब !... ''तनु ''
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