दर्द लिखा न होता जब दिल में आया नहीं होता ;
जब चराग से अपने नशेमन जलाया नहीं होता !
आदमियों के बुत, बुतों के ताबूत सजाये हमने ;
जब सोते बच्चों को पलनों में रुलाया नहीं होता !
न परछाइयों का गाँव नहीं तितलियाँ आभासी ;
जब मरकज़ -ए -ख़याल को सुलाया नहीं होता !.. ''तनु ''
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