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Saturday, October 14, 2017

दर्द लिखा न होता जब जी में आया नहीं होता




दर्द लिखा न होता जब दिल में आया नहीं होता ; 
जब चराग से अपने नशेमन जलाया नहीं होता !

 आदमियों के बुत,  बुतों के ताबूत सजाये  हमने ;
जब सोते बच्चों को पलनों में रुलाया नहीं होता !

 न परछाइयों का गाँव नहीं तितलियाँ आभासी ;
जब मरकज़ -ए -ख़याल को सुलाया नहीं होता !.. ''तनु ''





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