Labels

Wednesday, October 11, 2017

आह !!! -- के हवाएँ बदनाम हो गयी ;






आह !!! -- के हवाएँ  बदनाम हो गयी ;
बचो ---बचाओ   सदाएँ आम हो गयी !


मकां  में डर है---- रहगुज़र में डर है ;
सुनहरी शाम---  बला ए शाम हो गयी !

शब में तीर---सहर उठी खंज़र लिए ;
साया बिन दिन ----जलाये घाम हो गयी !

रहबर के भेस में    घूमते रहजन ;
लुटा माल दुश्मन ये चाम हो गयी !

पयंबरों के होते आलम तबाही का ;
कैसी  जिंदगी  बेआ'  राम हो गयी !

चुप रहने वाला बेचारगी में मरता  ;
दुनिया एक को मारे लाम हो गयी !.. ''तनु ''

No comments:

Post a Comment