हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति माननीय अब्दुल कलाम जी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मेरे दो शब्द और चाहत उनकी
बाधाएँ आएँ कभी न झुकना ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकना !
बाधाएँ आएँ कभी न झुकना ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकना !
मार्ग कंटकाकीर्ण हो जाए;
चाहे आग के दरिया आये !
पग पग पर विष पी कर ;
नील कंठ धारण करना !!
आशाओं की पौध रोपना ;
''दृढ प्रतिज्ञ ''कभी न रुकना !!!
जीवन बाधाओं का साथ ;
अगर सूझे न हाथ को हाथ !
मन के दीये जला के तुम ;
जग में उजियारा करना !!
दीप से दीप जलाते चलना ;
''दृढ प्रतिज्ञ''कभी न रुकना !!!
लक्ष्य साध कर दौड़ पडो ;
पीर सह लो उफ़ न करो !
दरिया फांदो समुद्र पी जाओ ;
पर्वत में भी राह बनाओ !!
संघर्ष में जीवन साधे चलना ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकना !!!
मीरा ने पाये अपने श्याम ;
भीष्म की सेवा है निष्काम !
छुट्टी का करो काम तमाम ;
ये कह गए अपने ''कलाम ''!!
कर्मठ सदा ही चलते रहना ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकना !!!
मीरा ने पाये अपने श्याम ;
भीष्म की सेवा है निष्काम !
छुट्टी का करो काम तमाम ;
ये कह गए अपने ''कलाम ''!!
कर्मठ सदा ही चलते रहना ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकना !!!
बाधाएँ आएँ कभी न झुकना !
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकना !!.... तनुजा ''तनु ''
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