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Friday, July 3, 2015

आओ बदरा !!!

मन मैला है मेघ का,  उपजा मन की प्यास,
बरसे बिन क्यों जा रहे, लगा नीर की आस ! 
लगा नीर की आस.    पुकारे वन हरियाली; 
तोड़ो अब उपवास,      पुकारे चातक डाली!!
गोरी देखे राह, सजना के सन्देश का ;
मीठी है चाह पर, मन मैला है मेघ का…





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