Labels

Saturday, July 4, 2015


वादरी वरसे, ,,,

कारा मनडा रा मेघ, क्यों उपजावौ प्यास रे 
थोब जो जी वरस्या वना क्यों जावो बिदेस रे 
नीर री प्यास जगई  पुकारे थाने हरियाली रे 
अबे तोड़ो उपास, थाने पुकारे चातकड़ो डाली रे    
गोरड़ी जोवै वाट कदी आवै साजन रो संदेस रे 
मीठी चाह भरी ने मति जावो थें कारा मेघ रे 

No comments:

Post a Comment