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Friday, July 3, 2015

दुनिया 



बनें हैं काबिल तभी तो उठाये नाज़ ये दुनिया ;
वरन नाकाबिल अनेक ठुकराये आज ये दुनिया ! 

मदमस्त हूँ खुमारी है, ग़ुम हुआ मैं तरन्नुम में ;

लर्जिशे यूँ  सबा ने पाईं, बजाये साज ये दुनिया !

मस्जिद झुकी,कलीसा मंदिर झुक गए मिरेआगे ;

बना हमको आफताब' पहनाये ताज ये दुनिया !

फटे में टाँग अटकाती जले पर नमक छिड़काती ;
हमेशा राज़ रहती बहुत नखरेबाज ये दुनिया ! 

चली साथ सबके ये दिखकर दिखाई नहीं देती ;
सयानी हो गयी मासूम उम्रदराज' ये दुनिया !

सदा दे कर नहीं सुनती सुनकर सदा नहीं देती;
बहुत शोर करती है, बड़ी बे- आवाज ये दुनिया ! 






































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