बाधाएँ आएँ कभी न झुकता ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता !
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता !
मार्ग कंटकाकीर्ण हो जाए;
चाहे आग के दरिया आये !
पग पग पर विष पी कर ;
नील कंठ धारण करता !!
आशाओं की पौध रोपता;
''दृढ प्रतिज्ञ ''कभी न रुकता !!!
जीवन बाधाओं का साथ ;
अगर सूझे न हाथ को हाथ !
मन के दीये जला के वह ;
जग में उजियारा करता !!
दीप से दीप जलाते चलता;
''दृढ प्रतिज्ञ''कभी न रुकता !!!
लक्ष्य साध कर दौड़ पड़े ;
पीर सह ले उफ़ न करे !
दरिया फांदे समुद्र पी जाए ;
पर्वत में भी राह बनाये !!
संघर्ष जीवन साधे चलता ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता!!!
मीरा ने पाये अपने श्याम ;
भीष्म की सेवा है निष्काम !
छुट्टी का करो काम तमाम ;
ये कह गए अपने ''कलाम ''!!
कर्मठ सदा ही चलता रहता ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता !!!
मीरा ने पाये अपने श्याम ;
भीष्म की सेवा है निष्काम !
छुट्टी का करो काम तमाम ;
ये कह गए अपने ''कलाम ''!!
कर्मठ सदा ही चलता रहता ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता !!!
बाधाएँ आएँ कभी न झुकता !
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता !!.... तनुजा ''तनु ''
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