Labels

Monday, July 27, 2015


बाधाएँ आएँ कभी न झुकता ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता !

मार्ग कंटकाकीर्ण हो जाए; 
चाहे आग के दरिया आये !
पग पग पर विष पी कर ;
नील कंठ धारण करता !!
आशाओं की पौध रोपता; 
''दृढ प्रतिज्ञ ''कभी न रुकता !!!

जीवन बाधाओं का साथ ;
अगर सूझे न हाथ को हाथ !
मन के दीये जला के वह ;
जग में उजियारा करता !!
दीप से दीप जलाते चलता;
''दृढ प्रतिज्ञ''कभी न रुकता !!!

लक्ष्य साध कर दौड़ पड़े ; 
पीर सह ले उफ़ न करे !
दरिया फांदे समुद्र पी जाए ;
पर्वत में भी राह बनाये !!
संघर्ष जीवन साधे चलता ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता!!!

मीरा ने पाये अपने श्याम ;
भीष्म की सेवा है निष्काम !
छुट्टी का करो काम तमाम ;
ये कह गए अपने ''कलाम ''!!
कर्मठ सदा ही चलता रहता ;
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता !!!

बाधाएँ आएँ कभी न झुकता !
''दृढ प्रतिज्ञ'' कभी न रुकता !!....  तनुजा ''तनु ''







No comments:

Post a Comment