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Friday, July 10, 2015


बे बहर धमाल 



हद जुदाई की रही, विसाल हो गया देखिए ;
आज हद से पार हूँ, कमाल हो गया देखिए !

वो उम्र भर नाउम्मीदी के जख्म ढ़ोते रहे ;
ज़ख़्म देता कौन है, सवाल हो गया देखिए !

दौलतें इंसानियत की दामन भर के ले चले;
कौन साथी नेक दिल ? बवाल हो गया देखिए!

कौन जाने आफताब कब तलक फलक पर रहे ?
शाम के आते यहाँ जवाल हो गया देखिए !

राह नेकी की चला मैं जीतने के वास्ते ;
राह बन मंजिलें थी निहाल हो गया देखिए !

मुश्किलों के दौर में किसको पुकारूँ क्या करूँ  ? 
मौन हो कर वक्त भी, निढाल हो गया देखिए !  

आइना भी पूछता है कौन तू क्या नाम है ?

अब खुद से मिलना भी मुहाल हो गया देखिये  !       

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