बे बहर धमाल
हद जुदाई की रही, विसाल हो गया देखिए ;
आज हद से पार हूँ, कमाल हो गया देखिए !
वो उम्र भर नाउम्मीदी के जख्म ढ़ोते रहे ;
ज़ख़्म देता कौन है, सवाल हो गया देखिए !
दौलतें इंसानियत की दामन भर के ले चले;
कौन साथी नेक दिल ? बवाल हो गया देखिए!
कौन जाने आफताब कब तलक फलक पर रहे ?
शाम के आते यहाँ जवाल हो गया देखिए !
राह नेकी की चला मैं जीतने के वास्ते ;
राह बन मंजिलें थी निहाल हो गया देखिए !
मुश्किलों के दौर में किसको पुकारूँ क्या करूँ ?
मौन हो कर वक्त भी, निढाल हो गया देखिए !
आइना भी पूछता है कौन तू क्या नाम है ?
अब खुद से मिलना भी मुहाल हो गया देखिये !
आइना भी पूछता है कौन तू क्या नाम है ?
अब खुद से मिलना भी मुहाल हो गया देखिये !
No comments:
Post a Comment