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Saturday, July 25, 2015

रुत आई पतझड़ की कानन में पात निपात रहे  
फिर वसंत के आगमन वन में साज निवाज रहे  
पिक बैनो ने गूँज लगाई तन उल्लासित हो गया   
प्रकृति संग जन जन के मन में राज विराज रहे 

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