रुत आई पतझड़ की कानन में पात निपात रहे
फिर वसंत के आगमन वन में साज निवाज रहे
पिक बैनो ने गूँज लगाई तन उल्लासित हो गया
प्रकृति संग जन जन के मन में राज विराज रहे
फिर वसंत के आगमन वन में साज निवाज रहे
पिक बैनो ने गूँज लगाई तन उल्लासित हो गया
प्रकृति संग जन जन के मन में राज विराज रहे
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