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Friday, March 11, 2016


मन  बंजारा 



मन मधुकर बंजारा सा उड़ता गली गली ;
कभी ले वैराग्य कभी बैठे कली कली !
राह बदलता, गिरा संभला चला अकेला , ,,,
कुछ सपने औ कुछ आशाएँ मनचली चली !!..... तनुजा ''तनु ''

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