होली है !!!
कागज पर स्याही से खेली ;
कवि ने भावों की होली !
सरसता पीला रंग फेरा ;
स्नेह ने सजाया डेरा !
कुसुम कुसुम से रंग चुराकर,
फाग ने लगाया फेरा !!
करता विनती हाथ जोड़कर ,
खेल मत बारूद गोली !!
कागज पर स्याही से खेली
कवि ने भावों की होली ......
आसमान लेकर कविता में ;
नीला गगन दिखाया है !
ज्ञान दीपक जलाकर जग में ,
उजियारा फैलाया है !!
तज कर रस काव्य की गुझिया
कौन खाए ये निबोली !!
कागज पर स्याही से खेली
कवि ने भावों की होली .....
इंद्रधनुषी रंग रचाकर ;
नगर बसा सौहार्द्र का !
मानवता के संग चला वो ,
ले बीड़ा सेवार्थ सा !!
भावो की मदिरा छलकाकर ,
खेले मन मानस होली !!
कागज पर स्याही से खेली
कवि ने भावों की होली ....
द्वेष कलुष को जगह नहीं है ;
होली का मान यही है ,
ढप बाजे और फाग गायें !
होली का गान यही है !!
मन की मस्ती में इतराये ,
नाचे मस्तों की टोली !!
कागज पर स्याही से खेली
कवि ने भावों की होली ..... तनुजा ''तनु ''
स्नेह ने सजाया डेरा !
कुसुम कुसुम से रंग चुराकर,
फाग ने लगाया फेरा !!
करता विनती हाथ जोड़कर ,
खेल मत बारूद गोली !!
कागज पर स्याही से खेली
कवि ने भावों की होली ......
आसमान लेकर कविता में ;
नीला गगन दिखाया है !
ज्ञान दीपक जलाकर जग में ,
उजियारा फैलाया है !!
तज कर रस काव्य की गुझिया
कौन खाए ये निबोली !!
कागज पर स्याही से खेली
कवि ने भावों की होली .....
इंद्रधनुषी रंग रचाकर ;
नगर बसा सौहार्द्र का !
मानवता के संग चला वो ,
ले बीड़ा सेवार्थ सा !!
भावो की मदिरा छलकाकर ,
खेले मन मानस होली !!
कागज पर स्याही से खेली
कवि ने भावों की होली ....
द्वेष कलुष को जगह नहीं है ;
होली का मान यही है ,
ढप बाजे और फाग गायें !
होली का गान यही है !!
मन की मस्ती में इतराये ,
नाचे मस्तों की टोली !!
कागज पर स्याही से खेली
कवि ने भावों की होली ..... तनुजा ''तनु ''
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