मन बंजारा ,
मुकद्दर से उलझता है मन बंजारा ;
समंदर सा उछलता है मन बंजारा !
किसको ढूँढता फिरता घरौंदा उसका ?
लो नयनों में मचलता है मन बंजारा , ,,,
मुकद्दर से उलझता है मन बंजारा ;
समंदर सा उछलता है मन बंजारा !
किसको ढूँढता फिरता घरौंदा उसका ?
लो नयनों में मचलता है मन बंजारा , ,,,
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