आबशार , ,,
अब्तर हुआ बशर, अश्क बहते नहीं आबशार से ;
ढाता जुल्म, करता गुनाह, छूटा हर इकरार से !
सैल-ए-खुराफात में झूठा रोना रोती रहीं आँखें , ,,,
प्यार से मानता नहीं, कोई नाता नहीं बहार से !!...तनुजा ''तनु ''
अब्तर हुआ बशर, अश्क बहते नहीं आबशार से ;
ढाता जुल्म, करता गुनाह, छूटा हर इकरार से !
सैल-ए-खुराफात में झूठा रोना रोती रहीं आँखें , ,,,
प्यार से मानता नहीं, कोई नाता नहीं बहार से !!...तनुजा ''तनु ''
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