मन मैला है
मन मैला है मेघ का .... उपजा मन की आस ;
क्यों छाए बरसे बिना, लगी नीर की प्यास !
लगी नीर की प्यास, तुम हमें क्यों गए भूल
बादल का आभास, सूखी डाल बनी शूल !!
निमंत्रण भेज धरा अपलक निहारती गगन
कब बरसोगे बदरा कितना है मैला मन ?? …
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