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Sunday, March 27, 2016




मन मैला है


मन मैला है मेघ का .... उपजा मन की आस ; 
क्यों छाए बरसे बिना,    लगी नीर की प्यास ! 
लगी नीर की प्यास,   तुम हमें क्यों गए भूल 
बादल का आभास,        सूखी डाल बनी शूल !!
निमंत्रण भेज धरा   अपलक निहारती गगन  
कब बरसोगे बदरा        कितना है मैला मन ??     

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