आया फिर मधुमास है, आम्रकुंज है त्राण !
तानी कूक कोयल ने , अकुलाये हैं प्राण !!
भौंरों से गुंजित हुआ, किसलय ले मधुमास !
खिल खिल कर कलियाँ कहे, मधुर मिलन की आस !!
मलिन मुख है विभावरी, हुई अमा की जीत !
सावन या ऋतुराज हो, विधु तजता ना रीत !!
मदमाती गंध बिखरी, लहराए हैं बौर !!
कोकिल कूजति कुंज है , उठती हृदय हिलोर !
मलिन मुख हुई यामिनी, सोये तारे चाँद !
सभी अमा के मोह में , खोये तम की माँद !!
विभावरी के मोह में , ठंढ़ा शिशिर मुस्काय !
दिवस छोटे रैन बड़ी, फूल फूल इतराय !!... ''तनु''