द्रौपदी या पद्मिनियाँ, राजनितीक शिकार ,
टूट पड़ते शोषण को, मन ,शरीर, बीमार !
मन ,शरीर, बीमार, देशवासी भी सहते , ,,
कैसी है ये हार, कुछ मुख से नहीं कहते !
मर्ज है लाइलाज , नहीं मिलती है औषधि !
आग लगी चहुँओर, जली पद्मिनी द्रौपदी !!... ''तनु''
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