वीरों की कुर्बानी लेकर
गौरवमय इतिहास रहा हूँ ,
सीने पर अपमान लिखाकर ??
बोलो हिंदुस्तान भुला दूँ , ,,,,,
बोलो हिंदुस्तान भुला दूँ , ,,,,,
शक्तिहीन बनी ये वसुधा ;
लिपट रही जननी से विपदा,
चीत्कार क्रंदन करे धरती
कैसे मन के भाव सुला दूँ ?
लिपट रही जननी से विपदा,
चीत्कार क्रंदन करे धरती
कैसे मन के भाव सुला दूँ ?
कौन रीत करे सुनियोजित ;
कौन प्रीत करे पयोदित,
कौन प्रीत करे पयोदित,
स्वप्न कौन करे साकार ?
किसे निमंत्रण मैं खुला दूँ ?
जन दुखी और रोना धोना ;
जन दुखी और रोना धोना ;
आहत मन का कोना कोना,
कौन दुश्मन घात लगाए ?
आओ सबको अब मैं बला दूँ , ,,,
मुझे रास नहीं है साजिश ;
आग लगाने वाली माचिस,
जात-पात औ ऊंच -नीच को, ,,
गुणवान हूँ क्यों वलवला दूँ !
प्रीत की रसधार बहाऊँ ;
प्रेम पगे मैं गीत सुनाऊँ ,
हरित सुकोमल देश धरा है , ,,
मुस्कानों में शहद घुला दूँ !...''तनु''
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