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Friday, January 26, 2018

वीरों की कुर्बानी लेकर

 वीरों की कुर्बानी लेकर 
गौरवमय इतिहास रहा हूँ ,
सीने पर अपमान लिखाकर ??
बोलो हिंदुस्तान भुला दूँ , ,,,,,

शक्तिहीन बनी ये वसुधा ;
लिपट रही जननी से विपदा,
चीत्कार क्रंदन करे धरती 
कैसे मन के भाव सुला दूँ ?


कौन रीत करे सुनियोजित ;
कौन प्रीत करे पयोदित, 

स्वप्न कौन करे साकार ?

किसे निमंत्रण मैं खुला दूँ ?

जन दुखी और रोना धोना ;

आहत मन का कोना कोना, 
कौन दुश्मन घात लगाए ?
आओ सबको अब मैं बला दूँ , ,,,

मुझे रास नहीं है साजिश ;
आग लगाने वाली माचिस,
 जात-पात औ ऊंच -नीच को, ,,
गुणवान हूँ  क्यों वलवला दूँ !

प्रीत की रसधार बहाऊँ ;
प्रेम पगे मैं गीत सुनाऊँ ,
हरित सुकोमल देश धरा है , ,,
मुस्कानों में शहद घुला दूँ !...''तनु''


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