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Tuesday, January 30, 2018

सजे आखर तारों के, रजनी पढ़ती याद ;



सजे आखर तारों केरजनी करती याद ; 
नवल सवेरा आ गया, लेकर के अवसाद ,
लेकर के अवसाद,  कुछ कण आँसू बो गयी !
कौन सुने फ़रियाद, ओस बनी फिर खो गयी !!
आये जब दिनमान, स्याह वसन तम ने तजे , 
हँस रहा आसमान,     माँग सिन्दूर में  सजे !! ... ''तनु''

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