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Monday, January 15, 2018

दहकते कुछ पलाश हैं करीब दिल के ;



दहकते कुछ पलाश हैं  करीब दिल के ;
अनजाने से सवाल हैं     गरीब दिल के !

कितने पास हो कर भी वो दूर ही रहे ;
 फ़िराक़ और विसाल हैं नसीब दिल के !

आखिर हम जा न सके उसके रू ब रू ;
उलझने और जाल हैं हबीब दिल के !

नामजद किसे हुआ इश्क का तोहफ़ा ;
खुशियां और मलाल है शरीक़ दिल के !

चाहत रही मेरी कभी उफ़ुक़ को चूम लूँ ; 
उरूज़ और जवाल हैं रक़ीब दिल के !.... ''तनु ''

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