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Thursday, January 18, 2018
अब बिसूरता मुँह लिये, खो बैठे हैं होश, ,,
उलझी डोर पतंग की, बिखर गये अरमान ;
राह कठिन थी जिंदगी, समझी थी आसान !
अब बिसूरता मुँह लिये,
खो बैठे हैं
होश, ,,
अपने
हाथों लु
ट गए,
हुआ न उनको भान !!.... ''तनु''
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