आडंबर से मीत विलग हूँ ;
कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,
मीत , प्रीत में आँसू बहते
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !
एक बावरी साँझ मिली थी ;
पलकों पर ऐसी सँवरी थी ,
बूँद ओस की कहीं बुझी थी !
नदिया भी तो कहीं रुकी थी, ,,
लो पत्ता पत्ता सहम गया है ,
बिखरा बिखरा बूटा पाऊँ , ,,
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !.... कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,
बुझे दीप तो तम गहरा था ;
मनवा में तो ग़म ठहरा था , ,,
उठी नहीं डोली अरमानों ,
जाने किस किस का पहरा था !
सुनाता शून्य पथ विकल था ,
औ मैं जग को रूठा पाऊँ !...
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !.... कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,
उसके इंतज़ार की घड़ियाँ ;
टूट गयी मोती की लड़ियाँ , ,,
पल पल होता दर्द सवाया ,
हँसती बिरहा की सुंदरियाँ ,
अगन जलन कैसे सहता हूँ , ,,
चाँदनिया को झूठा पाऊँ !...
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !.... कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,
... ''तनु ''
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