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Thursday, January 11, 2018

आडंबर से मीत विलग हूँ ;




आडंबर से मीत विलग हूँ ;
कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,
मीत , प्रीत में आँसू बहते 
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !


एक बावरी साँझ मिली थी ;
पलकों पर ऐसी सँवरी थी ,
बूँद ओस की कहीं बुझी थी !
नदिया भी तो कहीं रुकी थी, ,,
लो पत्ता पत्ता सहम गया है ,
बिखरा बिखरा बूटा पाऊँ  , ,,
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !.... कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,


बुझे दीप तो तम गहरा था ;
मनवा में तो ग़म ठहरा था , ,,
उठी नहीं डोली अरमानों ,
जाने किस किस का पहरा था !
सुनाता शून्य पथ विकल था ,
औ मैं जग को रूठा पाऊँ !... 
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !.... कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,


उसके इंतज़ार की घड़ियाँ ;
टूट गयी मोती की लड़ियाँ , ,,
पल पल होता दर्द सवाया , 
हँसती बिरहा की सुंदरियाँ , 
अगन जलन कैसे सहता हूँ , ,,
चाँदनिया को झूठा पाऊँ !... 
कतरा कतरा टूटा जाऊँ !.... कैसे मैं मधुमास बुलाऊँ ,
... ''तनु ''



  

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