Labels

Tuesday, June 30, 2015

बधाइयाँ !!!

एक परी खिलखिलाती,   आई आज हमारे घर ,,
लिए छड़ी सबको हँसाती आई आज हमारे घर !
गुल वारूँ गुलगुले खिलाऊँ होश नहीं मुझको ,,,
लो, जी खुशियाँ दौडती आईं,,,  आज हमारे घर !!!.... तनुजा ''तनु ''

मन पखेरू 


सुमरिनी टूट भी जाए, भगवत स्मरण होता है ;
तमस छाया जमाने में उजास स्व मन होता है ! 
कमल खिलकर तड़ाग बढा रहा सम्मोहन धरा का ;
कवि बनूँ गीत गाऊँ झूम नाचूँ स्फुरण' होता है !!!,,……तनुजा ''तनु ''

Monday, June 29, 2015

कुंडलियाँ छंद 

मालवी में …

चम चम चमके बीजळी, करे वादरा सोर ;

नैणा वरसे मेवलो,   हूक काळजे कोर !
हूक काळजे कोर,  झाँझरां झन झन झनके ;
राते बोल्या मोर , चूडलो खन खन खनके !
काजळ छूट्यो कोर, रोवै आँख्या झमझम ;
हिरदा उठे हिलोर , चमके बीजळी चमचम !!……तनुजा ''तनु ''


कृष्ण कमलापते 


वल्लरी प्रीत की प्यारी, यही मीरा लगाये है ; 
बहाये नैन आँसू में, कभी जियरा जलाये है !

कहे जाती कभी कान्ह, कभी मोहन कहे जाती ;
भगत के भाव में डूबे, भगवन मगन  नहाये है !

कभी फूलों लताओं में, कभी बादल हवाओं में ; 
रहा करते दिलों के बीच, नाथ ''जगत'' कहाये है !

लगाकर ध्यान प्रीतम का, जगा ले साँच की ज्वाला ;
मुरारि, गिरधर, नटवर वो तेरे' भीतर समाये है !

मुरलिया की धुन बजी और घनश्याम गरजते हैं ; 
 
सुमन के तन, सुवासित मन, संसार को दिखाए हैं ,,,.... तनुजा ''तनु ''

















Saturday, June 27, 2015

सिर्फ तुम्हारे लिए 


तुम पास हो मगर तुम्हारा पता नहीं ;
मौसमों ने दी कई दिन से सदा नहीं !

सिर्फ ''पर'' ही नहीं हौसले भी साथ ;
बुलंदी  छू  आऊँ चाहे हो  हवा नहीं ! 

गुल रज़ामंद है खिलने को हैं तैयार !!
हरेक हर्फ़ मेरा, सबां ने लिखा नहीं , ,,

बस्ती हो कोई सी जहाँ हो कोई सा , ,,
दुनिया में कोई भी तेरे सिवा नहीं !! 

 मैं हूँ राहत से ये तूने  जाना कैसे ??
सुखन कोई जुबां ने तुझसे कहा नहीं !

दर्द कितना कैसा तेरी जुदाई में सहा ?
शमा है  धुँआ दवा का  फायदा नहीं , ,,

हो  पास  फिर भी है इंतज़ार तुम्हारा , ,,
मुद्दआ मौन है ''तनु '' और लबों पे सदा नहीं !!! ,,तनुजा ''तनु ''


Friday, June 26, 2015

क्यों रखता है ??

दश्त - ओ - सहरा में जज़ीरा क्यों रखता है ?
पाँव के नीचे वो जन्नत क्यों रखता है ? 

 ज़ालिम दरिया किनारा तोड़ चलता है, ,, 
 जिद है तूफां की किनारा क्यों रखता है ?

इश्क का महल है और साँसों की गिनती , ,,
कहाँ निकले साँसे दरीचे क्यों रखता है ? 

झुक गयी आँखें खामोश है दरिया दिल, ,, 
बंद होठों पे कोई मौन क्यों रखता है ?

ये शब ही है या कोई तसव्वुर मेरा ?
या आसमान ही ये चाँद क्यों रखता है ?

मैं तो बिखरी रहूँगी रंग ओ ख्वाब में ,  ,,
दिल तेरा बेवजह इंकार क्यों रखता है ?

आईने से हर रोज़ ही पूछ कर देखा , ,,
फ़क्त शीशा है तू अक्स क्यों रखता है ?,,,,तनूजा ''तनु ''

कैसे कहूँ ?


बर्बाद भी नहीं,   मैं आबाद भी नहीं ;
नाशाद हूँ किसी को' भी बताती नहीं !


जज़्बात सागर के सीने में हैं दफ़्न ; 
पैगाम रेत पर हैं'  पढ़ता कोई नहीं !

आई बहार फूल खिले शूल साथ हैं ; 

कैसे पता उन्हें ये बातें चुभी नहीं ??

मैं बूँद बादलों की हूँ चाह गगन है ; 
मोती बन रहूँ सीप, ये चाहती नहीं !

बेसबब इंतज़ार करेगा न कोई अब ;

पलटकर मैं किसी को भी देखती नहीं !

ये ज़िद दायरों की है  जो टूटते नही !
उम्मीद आखरी निकली ही कभी नहीं !,,,तनुजा ''तनु ''


Wednesday, June 24, 2015

करम खेती 

मिली ने कर्म जगा देवाँ चालो !
मिली ने भरम भगा देवाँ चालो !!

परबाते गावां राम ने सांझे गनेस !
धोयोड़ो आँगणों सजा देवाँ चालो !!

बीनणी सी सजे खेती सुनेरी !
सितारा आंगणे रचा देवाँ चालो !!

 क्यूँकर राखां पलकां आँसू घणा !
 बला ने अबार भगा देवाँ चालो !!

धीमो वायरो फुलडा गीत गावै !
वी ज गीत गुनगुनावाँ चालो !!

तारा छायी रात ने चांदणी हँसे ! 
हथेरी में सूरज ने तेडावाँ चालो !! 

मिली ने कर्म जगा देवाँ चालो !
मिली ने भरम भगा देवाँ चालो!!,,,तनुजा ''तनु '' 
फिर आज शिकायतें हैं चाँद को लेकर 

कभी कभी चाँद उधर दिखाई देता है ;
बादलों  पार  कहर दिखाई देता है !

भुला चुके किस्से इंसानियत के सब ;
चाँद दूज का खंज़र दिखाई देता है !

शमा जले, परवाना जले, जले दोनों ;

ज़मीर इक सा अक्सर दिखाई देता है !

लहर उठी छूने उछल आसमान अभी ;

समुन्द जोश-ए - क़मर दिखाई देता है !

छुपी छुपी गर  चश्म -ए -महताब चले ;
अब्र रहा रोक रहगुजर   दिखाई देता है !
        
तस्वीर जो दिल में  उतरती रही देखो ; 
रहा मिरा  दिल बेखबर दिखाई देता है ! 

कभी छुपे दरिया है,  सहर कभी डूबे ;
कभी कहीं दिल दिलबर दिखाई देता है !

नबी ज़बीं चूमें के जन्नत मिलती है ;
दुआ कबुल है असर दिखाई देता है !,,,,,,,,,तनुजा ''तनु ''

Monday, June 22, 2015

थारो सहारो प्रभु म्हाने आज भी सिवा अपने ;
कोई नी जो देखे दूजाने आज भी सिवा अपने !
साँवलिया कठे है तू ने कठे थारां बन्दा !!!
नी देखे कोई भी कणीने आज तो सिवा अपने , ,,, तनुजा ''तनु ''

Saturday, June 20, 2015


ओस 

श्वेत मोती से सजी है, धारिणी की चुनरिया !
गंग धारा से भरी है,   मानिनी की गगरिया !!
धारिणी की चुनरिया ली अंशुमाली ने चुरा , ,,,
आज कैसे भेद खोले पातकी ये पवनिया ??

Thursday, June 18, 2015

आज रा हाल चाल 

साँच ने झूठो वणाणो अई गयो  ;
वात  में वाताँ वणाणो अई गयो  ! 

छलकी सहबा !! अबे थारी काइं वकत ; 
थार में पाणी लाणों अई गयो  !

सबुरी राखूँ कठे दिखावटी बाजार में;
किस्तां में सामान लाणों अई गयो  ! 

लूटी -लूटी खीसा मेल्यो माल है ; 
काठ री हांडी चढ़ाणो अई गयो  ! 

घणी मली री टोपियाँ बजार में ;
टोपियाँ खूब पिनाणों अई गयो  !

घूस चले चाक वना !!! घड़ा पाक्या थका ?
घास ति यारी निभाणों अई गयो  , ,,

कई अणि ज जिनगी रो चाव है ;
नाम ने मिटटी मिलाणों अई गयो   …तनुजा ''तनु ''
किसी को कुछ दिखाई देता' नहीं अब सिवा अपने ; 
कहाँ है देखता कोई किसी को अब सिवा अपने ! 
कहाँ है वो खुदा का नूर बन्दे उसके गए कहाँ  ??  
सहारा आज भी तेरा मुझे है अब सिवा अपने , ,,,तनुजा ''तनु ''

प्रदुषण री मार पाणी,....  प्राण ति अमृृत धोई गी ! 
आज री बहार काल रा जीवन ति अमृत धोई गी !!
साफ़ पाणी ने साफ़ वायरा ने तरसां हां म्हे जीव, ,,,  
हरी हरी जमीन कारी वि,   ने जीवन ति अमृत धोई गी !! ...तनुजा ''तनु ''

Wednesday, June 17, 2015

 आज के हालात 



साँच को झूठा बनाना आ गया ;
 बात में बातें बनाना आ गया ;

छलकती सहबा, वकत क्या जान ले !!! 
आज थारों आब लाना आ गया , ,,,

 हसरतें बनी दुल्हन सी थी खड़ी ;
 किश्त में सामान लाना आ गया !

लूट कर जेबों चढ़ाया माल है;
काठ की हांडी चढ़ाना आ गया !

अब सज रही टोपियाँ सर खूब हैं ;
टोपियाँ  खूब पहनाना आ गया !

घूस चले चाक बिन !! हैं पके घड़े ;
घास से यारी निभाना आ गया !!

दाढ़ियाँ कैसे बची,  तिनकों रही ?
चोरियाँ  चोरों छुपाना आ गया , ,,,,

क्या अब इसी जिंदगी की चाह है ?
नाम मिटटी में मिलाना आ गया !!! …तनुजा ''तनु ''

Tuesday, June 16, 2015

ज्ञान का पंख छुआ दो माँ 

ज्ञान का पंख छुआ दो माँ , 
आज तो अंक छुपा लो माँ !!


पाणि कलम सुशोभित हो ;
वाणी भी अलंकृत हो !
फिर देह कैसे मलिन रहे , ,,
मस्तक मयंक सजा दो माँ !!
ज्ञान का ...................... 

निर्भय करो निर्दय न हों ;
निर्गुण करो निर्बल न हों !
संज्ञान विज्ञान घट पूर्ण रहे , ,,
ज्ञान का शंख बजा दो माँ !! 
ज्ञान का ………… 

निपुण बनें निर्मम न हों;
विद्वान बने निरंग न हों !
विषहा विषयक बने रहें, ,, 
अज्ञान कलंक हटा दो माँ !!
ज्ञान का……

हे वागीश्वरी वाणी दो ;
हे ज्योतिर्मयी ज्योति दो !
मन कानन में पुष्प खिले, ,,
विषमय डंक हटा दो माँ !!
ज्ञान का......... 


ज्ञान का पंख छुआ दो माँ ;
आज तो अंक छुपा लो माँ!! … तनुजा ''तनु ''




Monday, June 15, 2015

इश्क़ 


महकती गजल है, गीत हँसी सी, बिखेर जाता है ;
तरन्नुम का नशीला जोश, दिल पर फेर जाता है !

लरज कर झूम कर बाँहों से वो जब दूर जाता है ;
खुदारा प्यार का मारा,  दिल धडका ये जाता है !

ज़र्ब - ए - संग गहरे से, संग संगदिल खाए है ; 
मरहम देता है, गुल रहगुज़र बिछाए जाता है !

पलकों पे मेरी, जुगनुओं से,-- सपने चमकते हैं; 
महफ़िल नींद की सजा सपनों में आये जाता है !

दिल इश्क लिए खुदा को सजदा किये ही जायेगा ;
सनक यही, गुल से खारो को, अलग किये जाता है !

बुलबुल का है बाग़ और गुलों की हैं रंगीनियाँ ;
मुझे कफ़स में भी बेड़ियों से सजाये जाता है !

Sunday, June 14, 2015


किसे दूँ  सदा दिल बिचारा बहुत है ;
बुत और खुदा को पुकारा बहुत है ! 

परिंदा सुबकता !! चमन रो रहा है ;
बहार ! गुल ! गुंचो ! इशारा बहुत है !

गुम हुआ इस कदर सदाओं में अपनी ;
खुदी को खुदी से निखारा बहुत है !

इल्तिजा फलक से, पुकारा जमीं को ;
चमकता दिखा वो शरारा बहुत है !

दिल तंग रखा शाह भी रो रहा है ;
गरीबी,   गरीब को मारा बहुत है !

म नवाँ उसी के अजीब तिलिस्म है ; 
बजा ढोल दूर,   धमकारा बहुत है !! ,,,,तनुजा ''तनु'' 

Friday, June 12, 2015


फ़साना 


अब नहीं वो रुत रूहानी आशनाई दोस्तों ;
फिर नयी सी अब कहानी आजमाई दोस्तों !

हर इक शख्स का फ़साना अलग यादें अलग है ; 
कुछ छुपे कुछ की हुई जलवानुमाई दोस्तों ! 

झूमकर नदिया चली समंदर की चाहत लिए ;
बारहा फिर वो रवानी दोहराई दोस्तों !

सूरतें ही ? सीरत नहीं ?  मामला गौर -ए तलब ;
चेहरे पुतती न काली रोशनाई दोस्तों !

आग के दरिया में' अमूमन डूबते तिरते चले ;
काफ़िर बहानों से फिर हुई सुनवाई दोस्तों !

खोट दिल की  नापने को इक कसौटी चाहिए ;
काम आयेगी खुदा की रहनुमाई दोस्तों !!,,,,,तनुजा ''तनु ''

Wednesday, June 10, 2015



???

 दीवार से झाँकते  हैं मासूम चेहरे ;
आँखों में वहशत किसने लिखी है ?

यहाँ कोई तेरा है न कोई मेरा है ;
जीने की ये हसरत किसने लिखी है ?

नफ़ा ओ नुक्सान हम देखते हैं ;
जुनूँ  लेके क़ुर्बत किसने लिखी है ?

दुनिया की पहचान जफ़ा हो गयी है ;
 वफ़ा की लज्जत किसने लिखी है ?

मैं अपने ही घर में अजनबी हो गया हूँ ;
खुदा जाने शोहरत किसने लिखी है? 

प्यार में कुर्बान किस पर और क्यों ?
प्यार की ये इबारत किसने लिखी है ?…तनुजा ''तनु ''



सदा देकर किधर गया कोई ;
जुल्फ छूकर निखर गया कोई!! 

घटा काजल लगा गयी आँखों ;
नयन कजरा कु-ढर गया कोई !!

सबा लेकर सहर चली आई ;
लगा साँसों मुहर गया कोई !!

उसे चाहा दिल' निसार किया; 
दिल दीये का जगर गया कोई !!    
                
हिसाब जिद्दत का लगालूँ !!! चल ,
मुझे सँवार सँवर गया कोई !!! .... तनुजा ''तनु ''




Monday, June 8, 2015

एक जनम


बहा श्रम बिंदु' पथ महकाना अभी है ;
नखत लाकर  पथ चमकाना अभी है !!

नसीब न रहा है  सदा एक सा ही ;
दिन सिर्फ दो का अफ़साना अभी है !!

कुछ कह !!! जुमला हो नन्हा' आशना सा;
इन्तजार में ये ज़माना अभी है!!  

जगे हैं शब!!! सहर सुहानी नहीं थी ;
जनम और भी हाथ आना अभी है !!

हमारी पहल अगरचे कुछ इस तरह;
वही राग  जाना  सुनाना अभी है !!

जनम 'सात' औ  'सौ'  ना बात करें हम ;
जनम इक निभा लें  निभाना अभी है !!,,,,''तनु ''

Saturday, June 6, 2015



पर्यावरण 

जल जलाया, जला ज़मीँ चले, ज़लज़ले दिखाए हैं ;
हम ! हमारी ही खुदी !!  हाय रे ये दिन दिखाए हैं !

नज़रें बार -ए - नदामत से उठेंगी अब कभी कैसे ? 
शर्म  -ओ - रंज -ओ - गम लिए क्या आँसू बहाये है ??

जहान पालीथिन का,प्लास्टिक का, मशीनी बशर का , ,,
सुकूं खोया जिंदगी गुज़रे पलों को बुलाये है !

तुम ढूँढ़ते हो  पा - ए - हवा और  हँसी परिंदो की ? 
गुलों को  कुचला है   कुदरत के जलवे मिटाये हैं, ,,,

 धरा धैर्य धर्म का,   धर रही धरती अधरों धीर , 
 दहन दोहन दास्ताँ' जी  में दावानल जलाये है!!!

मनाने जश्न  मौज - ए  -हवा - ए -गुल को बहने दो ;
बड़ी मुश्किल से ईश्वर ने हमें ये दिन दिखाए हैं !! 

Thursday, June 4, 2015






कशिश दिल की इक सजन आँखों लुभाया देखिए ;
जिंदगी में अब वही,         साँसों समाया देखिए !

रात की आँखों में कई जवाब सुहाने लगे ;
है अहसास ख्वाब मेरा ही चुराया देखिये !

ज़ेर -ए -फैसला बाकी है महज़र -ए -अमल में ;
दिल सजाएँ चाहता कहाँ,    सरमाया देखिये! 

घायल,  गुलाब -ज़ार हूँ ज़ख्मों से तो क्या हुआ , 
दिल गुले  गुलज़ार घर खुशियों सजाया देखिये !

मैं लिए  वरक   बैठी  हुई   इन्तिसाब के लिए ;
किताब-ए- दिल पर नाम  इश्क लिखाया देखिये !
लिबास 

धुंध की चादर कोहसार का,   लिबास बन गयी !
शीतल धुंध चली नज़ारों का,  लिबास बन गयी !!

पहाड़ का जेहन तोड़ने, आसमाँ' झुक गया !
बह रही नदिया धरा का पाक लिबास बन गयी !!

बे - जुबान डगर, कहाँ रही ?  ''बाज़ीचा'' आदमी !
शोहरत की भूख ईमान का' लिबास बन गयी !!

वक्त ने ली किताब सजा,  हरफ दुल्हन बन गए !
शफाकत, शर्म, नज़ाकत, लहजा, लिबास बन गयी !!

बैठकर देखा किये, इस जहान के खेल को; 
जान तन से जा मिली शबाब का' लिबास बन गयी!!!

Wednesday, June 3, 2015

सज सवेरा मधुर धुन बाजी,   बाँसुरी बाँस की ,
नयन मूँदे अधर धर साजी,   बाँसुरी बाँस की !!
मदन मोहा नंदलाला नयन मोहे ,   साँवरा !!!  
न धर धीरा !!! अधीरा !!! साची बाँसुरी बाँस की !!! ...तनुजा ''तनु ''

Tuesday, June 2, 2015

किताबों में  छपे ये कुछ  हरफ अनमोल हीरे हैं ;              
सजालो दिल  न भूलो ये शब्द अनमोल हीरे हैं !    
विभूषित कर दिया करते हमेशा ज्ञान पीढ़ी को, ,, 
किताबें ही जहाँ हों  पुस्तकालय वो जखीरे हैं !!
 मैं भी आनंदित हुई,  ------रहे हस्त वागीश
 धरणि आच्छादित हुई,  लुटा स्नेह आशीष
...''सूर्य ताप जबरदस्त है जला जला जाय  शरीर , 
ये डिगरी डिगरी बढ़ता चमक चमका जाय मुनीर'' ! 
गिरकर उठना ओ  उठकर गिरना  जीवन धूप छाँव, ,, 
सुख -दुख जीवन , मीठे- कड़वे दिन, लिख जाय तकदीर!!.... तनुजा ''तनु ''

Monday, June 1, 2015

जिंदगी 


अभी पहने है जिंदगी ने नकाब कई ;
आँखों को देखने का दरीचा चाहिए ! 

गम की आह भी है ख़ुशी की चाह भी है ; 
दुआएँ  भेजने का सलीका चाहिए' !

कहीं खार हैं तो कही है गुलों के रंग ;
खुशनुमा जिंदगी ना  गज़ीदा चाहिए !

चलो हम कुबूल कर लें सैल -ए - नूर को ;
उठ गए साये उजाला गुज़ीदा चाहिये' !

कैसे गुबार हैं वादी - ए -  कोहसार से' ;
इक तेरा करम हो न ग़मदीदा चाहिए !

परिंदे हैं हम मालिक तेरे गुलशन के ;
जिंदगी हमें हमेशा पसंदीदा चाहिए ! 

दरीचा=खिड़की 
गज़ीदा= डंक लगा हुआ 
सैल -ए - नूर = रौशनी 
गुज़ीदा = चुना हुआ 
वादी - ए -  कोहसार = घाटी mountainous valley
मदीदा  = दुखी