किसे दूँ सदा दिल बिचारा बहुत है ;
बुत और खुदा को पुकारा बहुत है !
परिंदा सुबकता !! चमन रो रहा है ;
बहार ! गुल ! गुंचो ! इशारा बहुत है !
गुम हुआ इस कदर सदाओं में अपनी ;
खुदी को खुदी से निखारा बहुत है !
इल्तिजा फलक से, पुकारा जमीं को ;
चमकता दिखा वो शरारा बहुत है !
दिल तंग रखा शाह भी रो रहा है ;
गरीबी, गरीब को मारा बहुत है !
हम नवाँ उसी के अजीब तिलिस्म है ;
बजा ढोल दूर, धमकारा बहुत है !! ,,,,तनुजा ''तनु''
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