फ़साना
अब नहीं वो रुत रूहानी आशनाई दोस्तों ;
फिर नयी सी अब कहानी आजमाई दोस्तों !
हर इक शख्स का फ़साना अलग यादें अलग है ;
कुछ छुपे कुछ की हुई जलवानुमाई दोस्तों !
झूमकर नदिया चली समंदर की चाहत लिए ;
बारहा फिर वो रवानी दोहराई दोस्तों !
सूरतें ही ? सीरत नहीं ? मामला गौर -ए तलब ;
चेहरे पुतती न काली रोशनाई दोस्तों !
आग के दरिया में' अमूमन डूबते तिरते चले ;
काफ़िर बहानों से फिर हुई सुनवाई दोस्तों !
खोट दिल की नापने को इक कसौटी चाहिए ;
काम आयेगी खुदा की रहनुमाई दोस्तों !!,,,,,तनुजा ''तनु ''
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