Labels

Friday, June 12, 2015


फ़साना 


अब नहीं वो रुत रूहानी आशनाई दोस्तों ;
फिर नयी सी अब कहानी आजमाई दोस्तों !

हर इक शख्स का फ़साना अलग यादें अलग है ; 
कुछ छुपे कुछ की हुई जलवानुमाई दोस्तों ! 

झूमकर नदिया चली समंदर की चाहत लिए ;
बारहा फिर वो रवानी दोहराई दोस्तों !

सूरतें ही ? सीरत नहीं ?  मामला गौर -ए तलब ;
चेहरे पुतती न काली रोशनाई दोस्तों !

आग के दरिया में' अमूमन डूबते तिरते चले ;
काफ़िर बहानों से फिर हुई सुनवाई दोस्तों !

खोट दिल की  नापने को इक कसौटी चाहिए ;
काम आयेगी खुदा की रहनुमाई दोस्तों !!,,,,,तनुजा ''तनु ''

No comments:

Post a Comment