आज के हालात
साँच को झूठा बनाना आ गया ;
बात में बातें बनाना आ गया ;
छलकती सहबा, वकत क्या जान ले !!!
आज थारों आब लाना आ गया , ,,,
हसरतें बनी दुल्हन सी थी खड़ी ;
किश्त में सामान लाना आ गया !
लूट कर जेबों चढ़ाया माल है;
काठ की हांडी चढ़ाना आ गया !
अब सज रही टोपियाँ सर खूब हैं ;
टोपियाँ खूब पहनाना आ गया !
टोपियाँ खूब पहनाना आ गया !
घूस चले चाक बिन !! हैं पके घड़े ;
घास से यारी निभाना आ गया !!
दाढ़ियाँ कैसे बची, तिनकों रही ?
चोरियाँ चोरों छुपाना आ गया , ,,,,
क्या अब इसी जिंदगी की चाह है ?
नाम मिटटी में मिलाना आ गया !!! …तनुजा ''तनु ''
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