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Wednesday, June 17, 2015

 आज के हालात 



साँच को झूठा बनाना आ गया ;
 बात में बातें बनाना आ गया ;

छलकती सहबा, वकत क्या जान ले !!! 
आज थारों आब लाना आ गया , ,,,

 हसरतें बनी दुल्हन सी थी खड़ी ;
 किश्त में सामान लाना आ गया !

लूट कर जेबों चढ़ाया माल है;
काठ की हांडी चढ़ाना आ गया !

अब सज रही टोपियाँ सर खूब हैं ;
टोपियाँ  खूब पहनाना आ गया !

घूस चले चाक बिन !! हैं पके घड़े ;
घास से यारी निभाना आ गया !!

दाढ़ियाँ कैसे बची,  तिनकों रही ?
चोरियाँ  चोरों छुपाना आ गया , ,,,,

क्या अब इसी जिंदगी की चाह है ?
नाम मिटटी में मिलाना आ गया !!! …तनुजा ''तनु ''

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