कशिश दिल की इक सजन आँखों लुभाया देखिए ;
जिंदगी में अब वही, साँसों समाया देखिए !
जिंदगी में अब वही, साँसों समाया देखिए !
रात की आँखों में कई जवाब सुहाने लगे ;
है अहसास ख्वाब मेरा ही चुराया देखिये !
ज़ेर -ए -फैसला बाकी है महज़र -ए -अमल में ;
दिल सजाएँ चाहता कहाँ, सरमाया देखिये!
घायल, गुलाब -ज़ार हूँ ज़ख्मों से तो क्या हुआ ,
दिल गुले गुलज़ार घर खुशियों सजाया देखिये !
मैं लिए वरक बैठी हुई इन्तिसाब के लिए ;
किताब-ए- दिल पर नाम इश्क लिखाया देखिये !
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