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Wednesday, June 24, 2015

फिर आज शिकायतें हैं चाँद को लेकर 

कभी कभी चाँद उधर दिखाई देता है ;
बादलों  पार  कहर दिखाई देता है !

भुला चुके किस्से इंसानियत के सब ;
चाँद दूज का खंज़र दिखाई देता है !

शमा जले, परवाना जले, जले दोनों ;

ज़मीर इक सा अक्सर दिखाई देता है !

लहर उठी छूने उछल आसमान अभी ;

समुन्द जोश-ए - क़मर दिखाई देता है !

छुपी छुपी गर  चश्म -ए -महताब चले ;
अब्र रहा रोक रहगुजर   दिखाई देता है !
        
तस्वीर जो दिल में  उतरती रही देखो ; 
रहा मिरा  दिल बेखबर दिखाई देता है ! 

कभी छुपे दरिया है,  सहर कभी डूबे ;
कभी कहीं दिल दिलबर दिखाई देता है !

नबी ज़बीं चूमें के जन्नत मिलती है ;
दुआ कबुल है असर दिखाई देता है !,,,,,,,,,तनुजा ''तनु ''

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