फिर आज शिकायतें हैं चाँद को लेकर
कभी कभी चाँद उधर दिखाई देता है ;
बादलों पार कहर दिखाई देता है !
भुला चुके किस्से इंसानियत के सब ;
चाँद दूज का खंज़र दिखाई देता है !
शमा जले, परवाना जले, जले दोनों ;
ज़मीर इक सा अक्सर दिखाई देता है !
लहर उठी छूने उछल आसमान अभी ;
समुन्द जोश-ए - क़मर दिखाई देता है !
छुपी छुपी गर चश्म -ए -महताब चले ;
अब्र रहा रोक रहगुजर दिखाई देता है !
तस्वीर जो दिल में उतरती रही देखो ;
रहा मिरा दिल बेखबर दिखाई देता है !
कभी छुपे दरिया है, सहर कभी डूबे ;
कभी कहीं दिल दिलबर दिखाई देता है !
नबी ज़बीं चूमें के जन्नत मिलती है ;
दुआ कबुल है असर दिखाई देता है !,,,,,,,,,तनुजा ''तनु ''
कभी कभी चाँद उधर दिखाई देता है ;
बादलों पार कहर दिखाई देता है !
भुला चुके किस्से इंसानियत के सब ;
चाँद दूज का खंज़र दिखाई देता है !
शमा जले, परवाना जले, जले दोनों ;
ज़मीर इक सा अक्सर दिखाई देता है !
लहर उठी छूने उछल आसमान अभी ;
समुन्द जोश-ए - क़मर दिखाई देता है !
छुपी छुपी गर चश्म -ए -महताब चले ;
अब्र रहा रोक रहगुजर दिखाई देता है !
तस्वीर जो दिल में उतरती रही देखो ;
रहा मिरा दिल बेखबर दिखाई देता है !
कभी छुपे दरिया है, सहर कभी डूबे ;
कभी कहीं दिल दिलबर दिखाई देता है !
नबी ज़बीं चूमें के जन्नत मिलती है ;
दुआ कबुल है असर दिखाई देता है !,,,,,,,,,तनुजा ''तनु ''
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