जिंदगी
अभी पहने है जिंदगी ने नकाब कई ;
आँखों को देखने का दरीचा चाहिए !
गम की आह भी है ख़ुशी की चाह भी है ;
दुआएँ भेजने का सलीका चाहिए' !
कहीं खार हैं तो कही है गुलों के रंग ;
खुशनुमा जिंदगी ना गज़ीदा चाहिए !
चलो हम कुबूल कर लें सैल -ए - नूर को ;
उठ गए साये उजाला गुज़ीदा चाहिये' !
कैसे गुबार हैं वादी - ए - कोहसार से' ;
इक तेरा करम हो न ग़मदीदा चाहिए !
परिंदे हैं हम मालिक तेरे गुलशन के ;
जिंदगी हमें हमेशा पसंदीदा चाहिए !
दरीचा=खिड़की
गज़ीदा= डंक लगा हुआ
सैल -ए - नूर = रौशनी
गुज़ीदा = चुना हुआ
वादी - ए - कोहसार = घाटी mountainous valley
ग़मदीदा = दुखी
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