!!! नव-कुंडलिया !!!
---- राज-छंद ----
---- राज-छंद ----
लेखनी
धर्म लेखनी, पूजनीय तू,
पूजनीय तू, प्रीत हृदय दे !
पूजनीय तू, प्रीत हृदय दे !
प्रीत हृदय दे, मन आहत है,
मन आहत है ,बोझ न बन तू !
बोझ न बन तू, दूर विषय कर ,
दूर विषय कर , धर्म लेखनी !!...''तनु ''
बेहद उम्दा नव कुण्डलिया राज छन्द
ReplyDeleteसादरअभिवादन,विनम्र आभार!
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