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Kaavya
Friday, June 23, 2017
लेखनी
लेखनी रानी मन की , कहती मन की बात !
सहलाती मरहम लगा , परोस केसर भात !
परोस केसर भात
!! नीम औ करेला कभी !
दे व्यंग्य की घात !! हँसी संग आँसू कभी !!
देती
भाषा ज्ञान , पूजो समर्थ लेखनी !
साथ रखो ईमान , बुरी मत लिखो लेखनी!! ...''तनु ''
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