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Friday, June 16, 2017
जात
सिकती इसपर रोटियाँ, करती ये व्यापार !
राम नाम तो दूर है , जात जीवनाधार !!
जात जीवनाधार , करे सब अपनी मन की !
दुबले दो आषाढ़, कौन पूछेगा जन की ?
''राजनीति'' दूकान में जिंदगानी बिकती !
लाशों पर सरेआम आज रोटियाँ सिकती !!.... ''तनु ''
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