वादळी आषाढ़ री
ओ आषाढ़ी बादळी , चुप रे धीरे डोल !
मन म्हारा मौन धरयो, गरजे क्यों तू बोल !!
मौन बड़ो है वात से , तूँ नी जाणे मोल !
आप अपनी वात करे, वाजे थारा ढोल !!
आषाढ़ी वदरी झरै , शीतल चले बयार !
जाणे मोती विखरया, खुश आखो संसार !!
मौन धरयो है मुनि सो, बदली को नी काम !
वायरा संग अगास में , चाले तो है नाम !!
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