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Wednesday, June 7, 2017







सुनो सादी  ख़बर है इसे अब नया मोड़ ना देना !
ज़रा सी बात थी, बढ़ा इसे अब नया मोड़ ना देना !!

महकता था आँगन देश का हर लम्स -ए -खुशबू से !
उसी खूबसूरत ज़मी को उजाड़ कर छोड़ ना देना !!

निसार कर जां  इस जहां से हँसते चले जो जाते हैं !
उन्हें याद में रखना यादों को उनकी तोड़ ना देना !!

ज़मीं पर जो नहीं चलते उन्हें क्या दर्द बिवाई का !
रिसती बिवाईयाँ हैं, आबलों को उनके फोड़ ना देना !!

मिटे हर्फ़ वरक़ फटे कुछ दरख़्वास्तें  ख़ारिज हुई !
 लिखीं बातें भूल जाना तुम वह वरक़ मोड़ ना देना !!

बिखर जाता''तनु'' कोई यूँ गलत फहमी के झौंकों से !
कभी जाने अंजाने बहलाकर विषैला खोड़ ना देना !!, ,,,,''तनु ''











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