ज़रा सी बात थी, बढ़ा इसे अब नया मोड़ ना देना !!
महकता था आँगन देश का हर लम्स -ए -खुशबू से !
उसी खूबसूरत ज़मी को उजाड़ कर छोड़ ना देना !!
निसार कर जां इस जहां से हँसते चले जो जाते हैं !
उन्हें याद में रखना यादों को उनकी तोड़ ना देना !!
ज़मीं पर जो नहीं चलते उन्हें क्या दर्द बिवाई का !
रिसती बिवाईयाँ हैं, आबलों को उनके फोड़ ना देना !!
मिटे हर्फ़ वरक़ फटे कुछ दरख़्वास्तें ख़ारिज हुई !
लिखीं बातें भूल जाना तुम वह वरक़ मोड़ ना देना !!
कभी जाने अंजाने बहलाकर विषैला खोड़ ना देना !!, ,,,,''तनु ''
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