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Saturday, June 10, 2017


 वादळी आषाढ़ री 

ताव चढ़्यो आषाढ़ रो, उमस सही नी जाय !
चालो सावन तेड़वा !       भर ठंढई पिलाय !!


असाढ़ रा डंका वज्या, बादळी नी समाय !
कठे वरसे या बदली,  पूछ कुण रे जाय !!

नीर जिमावै बादली,       हरिया बंजर बाँठ!

सब जीमण तरसिया,  खुल गी हिय री गाँठ !! 

धुळ्या थका डुंगरिया , कोंपल फूटी जाय !    

जाणे कोरी चूंदड़ी,     सनेह से हरियाय !!,...''तनु ''

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