वादळी आषाढ़ री
ताव चढ़्यो आषाढ़ रो, उमस सही नी जाय !
चालो सावन तेड़वा ! भर ठंढई पिलाय !!
असाढ़ रा डंका वज्या, बादळी नी समाय !
कठे वरसे या बदली, पूछण कुण रे जाय !!
नीर जिमावै बादली, हरिया बंजर बाँठ!
सब जीमण तरसिया, खुल गी हिय री गाँठ !!
धुळ्या थका डुंगरिया , कोंपल फूटी जाय !
जाणे कोरी चूंदड़ी, सनेह से हरियाय !!,...''तनु ''
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