बारहा
क्यों बारहा हम ही हम मरे हैं ?
अजी जुदाई से कब उबरे हैं ?
सुनो दिल से न तुम दूर होना ,
वक्त बड़ा ये सख़्त गुजरे है !
न डूब इस कदर गम में अपने ,
आइना देखे तो खुद ही डरे है !
अभी कश्ती से दूर है किनारा ,
कहाँ है सहारा जो तू उतरे है ?
यही जिंदगी यहीं पर अता कर ,
इसी छलावे में ये मनवा जरे है!
इसी लिए हम बावले हो गए हैं ,
के चाँद के ख़ाब दिल से परे हैं !
कयामत अभी नहीं आने वाली !
जब्त कर 'तनु' क्यों रो के मरे है !!...''तनु ''
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