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Wednesday, June 28, 2017



बारहा


क्यों बारहा हम ही हम मरे हैं ?
अजी  जुदाई से कब उबरे हैं ?

सुनो दिल से न तुम दूर होना ,
वक्त बड़ा ये सख़्त गुजरे है !

न डूब इस कदर गम में अपने , 
आइना देखे तो खुद ही डरे है ! 

अभी कश्ती से दूर है किनारा ,
कहाँ है सहारा  जो तू उतरे है ?

यही जिंदगी यहीं पर अता कर ,
इसी छलावे में  ये मनवा जरे है!

इसी लिए हम बावले हो गए हैं ,
के चाँद के ख़ाब दिल से परे हैं !

कयामत अभी नहीं आने वाली !
जब्त कर 'तनु' क्यों रो के मरे है !!...''तनु ''

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