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Saturday, June 24, 2017



लेखनी 

लिखना दीपक लेखनी, कहना जी की बात !
सहलाना मरहम लगा ,  थाल केसरी भात !!
थाल केसरी भात !! नभ से ज़मी पर पटके !
दे व्यंग्य की घात !!     गिरे खजूर पर लटके !
माता का है रूप ,     इससे मत बुरा लिखना !
सत्य की लिखें धूप ,   जगरते दीपक लिखना !!

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