करे पढ़ाई आग की , रखकर जी में ऐंठ !
शब्द ठंढ के रो पड़े , आग महीना जेठ !!
निपट अकेला राह में , ना संगी ना साथ !
जेठ महीना घाम का , कौन पकड़ता हाथ !!
निपट अकेला राह में , ना संगी ना साथ !
जेठ माह आराम का , कौन पकड़ता हाथ !!
ताप बढ़ा गर्मी चढ़ी, जेठ करे उत्पात !
छड़ियाँ बरखा की पड़ी , भूला सारी घात !!
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