Labels

Monday, June 5, 2017







करे पढ़ाई आग की , रखकर जी में ऐंठ !
शब्द ठंढ के रो पड़े , आग महीना जेठ !!

निपट अकेला राह में , ना संगी ना साथ !
जेठ महीना घाम का , कौन पकड़ता हाथ !!

निपट अकेला राह में , ना संगी ना साथ !
जेठ माह आराम का , कौन पकड़ता हाथ !!

ताप बढ़ा गर्मी चढ़ी,      जेठ करे उत्पात !
छड़ियाँ बरखा की पड़ी , भूला सारी घात !!



No comments:

Post a Comment