आषाढ़
मैं बदली आषाढ़ की, मत कर मुझसे मोह !
कभी बरस कर बाढ़ हूँ, कभी मिलूँ ना टोह !!
उमस भरा ये दिन कहे, ढूँढूँ ठंढी रैन !
बीती रजनी दिन गया, दिवस रैन बेचैन !!
आषाढ़ बदली बरसी, सौंधी चली बयार !
नहाये जड़ जंगम हैं, पहन बूँदो का हार !!
कभी बरस कर बाढ़ हूँ, कभी मिलूँ ना टोह !!
उमस भरा ये दिन कहे, ढूँढूँ ठंढी रैन !
बीती रजनी दिन गया, दिवस रैन बेचैन !!
आषाढ़ बदली बरसी, सौंधी चली बयार !
नहाये जड़ जंगम हैं, पहन बूँदो का हार !!
आषाढ़ी बदली कहे , बजा बजा कर ढोल !
तरसी धरा बुला रही, कहाँ बरसूँ मैं बोल !!
ओ बदली आषाढ़ की , धीरे चुपके डोल !
मन में मेरे मौन है, कह ना दे कुछ बोल !!
पवन चढ़ गयी बादली, उड़कर करती सैर !
पर्वत जग जंगल मिले, नहीं किसी से बैर !!
रैन दिवस न पलक जुड़े, कटता तन से स्वेद !
मैं जड़ जिद्दी हूँ सदा, ना मानूँ मैं खेद !!
पवन चढ़ गयी बादली, नहीं किसी की ख़ैर!
पर्वत जग जंगल छलूँ , उड़कर करती सैर !!
आषाढ़ी तेवर चढ़े , बढ़ा उमस का भाव !
सावन जल्दी बुलाइये , वे रावों के राव !!
पवन चढ़ी बदली चली, बूंदों का ले भार !
पर्वत पाहन सोचते , किसे मिले उपहार !! ..''तनु ''
पर्वत जग जंगल मिले, नहीं किसी से बैर !!
रैन दिवस न पलक जुड़े, कटता तन से स्वेद !
मैं जड़ जिद्दी हूँ सदा, ना मानूँ मैं खेद !!
पवन चढ़ गयी बादली, नहीं किसी की ख़ैर!
पर्वत जग जंगल छलूँ , उड़कर करती सैर !!
आषाढ़ी तेवर चढ़े , बढ़ा उमस का भाव !
सावन जल्दी बुलाइये , वे रावों के राव !!
पवन चढ़ी बदली चली, बूंदों का ले भार !
पर्वत पाहन सोचते , किसे मिले उपहार !! ..''तनु ''
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