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Tuesday, June 6, 2017




आषाढ़



मैं बदली आषाढ़ की,  मत कर मुझसे मोह !
कभी बरस कर बाढ़ हूँ, कभी मिलूँ  ना टोह !!

उमस भरा ये दिन कहे,  ढूँढूँ ठंढी रैन !  
बीती रजनी दिन गया, दिवस रैन बेचैन !!

आषाढ़ बदली बरसी, सौंधी चली बयार !
नहाये जड़ जंगम हैं, पहन बूँदो का हार !! 

आषाढ़ी बदली कहे , बजा बजा कर ढोल !
तरसी धरा बुला रही,  कहाँ बरसूँ मैं बोल !!

ओ बदली आषाढ़ की , धीरे चुपके डोल !
मन में मेरे मौन है, कह ना दे कुछ बोल !!

पवन चढ़ गयी बादली,  उड़कर करती सैर !
पर्वत जग जंगल मिले,    नहीं किसी से बैर !!

रैन दिवस न पलक जुड़े, कटता तन से स्वेद !
मैं जड़ जिद्दी हूँ सदा,            ना मानूँ मैं खेद  !!

पवन चढ़ गयी बादली,  नहीं किसी की ख़ैर!
पर्वत जग जंगल छलूँ ,   उड़कर करती सैर !!

आषाढ़ी तेवर चढ़े ,  बढ़ा उमस का भाव !
सावन जल्दी बुलाइये ,     वे रावों के राव !!

पवन चढ़ी बदली चली, बूंदों का ले भार !
पर्वत पाहन सोचते , किसे मिले उपहार !!    ..''तनु ''



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