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Thursday, February 22, 2018

ले फागुन का रंग !


अँखियन बातें कह गया,  ले फागुन का रंग !
रोम रोम महका गया, कुछ पल पी का संग !!

चुपके बहती फगुनिया, तीखी हो या मंद !
रोक रही है राह को,    डाल रही है फंद !!  

मन का टेसू खिल उठा, है तन रंग गुलाल ! 
गुलमोहर है सपन में , झूमी महुआ ड़ाल !!         

ऋतुराज भी अनूप हैं,      कस्तूरी सी साँस !
आज महोत्सव प्रीत का  मनवा में उल्लास !!

कौन मनवा बंधन में,           सब हैं बेपरवाह ! 
गालों पर सबके मिली,  खिली कलियाँ अथाह !!... ''तनु''

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