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Sunday, February 25, 2018

उडा है गुलाल रंग , गाल भाल लाल हुए !



उडा है गुलाल रंग , गाल भाल लाल हुए !
अंग अंग गोपिन के , इठलाया फागुन है !!

आस परम की लगी,  ध्यान में मगन भई !
हिय में हुलास भर  ,  मनभाया फागुन है !!

बिरहन का जियरा ले, धीमे से हुई भोर !
यादों के अहसासों में,  अलसाया फागुन है !!

कबहुँक  गोपी संग , कबहुँक ग्वालों संग !
भोर से गोधूलि तक , रंगलाया फागुन है !! 

ढल गयी शीत अब ,  भ्रमरों ने गाये गीत !
अलि कली नाच रही , थिरकाया फागुन है !!

अनंग के उत्सव में , अनकही चाहत में !
डालियाँ झकझोरती , पगलाया फागुन है !!

कलियाँ ले झूमी डाल, बदले हैं चाल ढाल !
ढप और मृदंग ले,      इतराया फागुन है !!

देखो अब चंग बजी , गली हुड़दंग मची !
टोली ''तनु'' टोलियों में,  हुरियाया फागुन है !! ... ''तनु''

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