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Wednesday, February 28, 2018
गहर अंधेरी भँवर दुनिया
गहर अंधेरी भँवर दुनिया
लोभ के
विषधर
डसे ,
मान अपमान सदा रुलाये ना उलझ बकोट कसे !
जब बजे बाँसुरी
जीवन की,
तू
खुशियाँ ले
समेट , ,,,
का
या की ड़ाल
सुनहरी रे
,
आत्म का फूल हँसे !!... ''तनु''
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