रेखा / लकीर
ये किरण लकीर सी चली, --जा बूँद में बनी इन्द्रधनुष ,
कल्पना कवि की साकार हुई, --जब धुला मन का कलुष ,
खुशियों के चमन खिल गये,------- आई जीवन में बहार !!!
देख लो !!! हर कोई ही चाहे आशाओं का इन्द्रधनुष !.... ''तनु ''
सोचो जो ये इन्द्रधनुष रंगों की इक रेखा होता ??
क्या इतने प्यार से फिर तुमने इसको देखा होता ??
धरा निहारते टिकी क्षितिज पर जब इठलाती चितवन ,
मिलना धरती अम्बर का ऐसा कहीं देखा होता ??.... ''तनु ''
लकीर का फ़कीर,…न होना तू कभी ,
हाथ की लकीर में. न खोना तू कभी ,
पुरुषार्थ ही जीवन का तू ध्येय रख.
आफतों में घिर कर न रोना तू कभी !!! ''तनु ''
अंजुमन में अज़ीम -ओ- अज़ीज़ हैं आये हुए
आँखों में काजल की रेखा ओ गेसू हैं लहराए हुए
दिल की राहें हैं अलग औ खूबसूरती एक तरफ
फैज़ बन कह दूँ मैं कुछ फ़ाज़िल भी हैं आये हुए
माथे पे लकीरें चहरे पर शिकन नहीं देखी
सदा कर्मठ रहे शरीर में थकन नहीं देखी
ऐसे हैं मेरे पिता और पिता के पिता भी
लक्ष्यहीन नहीं देखा कभी भटकन नही देखी
न आये तुम्हे कुछ तो कोई बात नहीं यूँ शरमाया न करो
किसी और की रचना को अपना कभी यूँ बनाया न करो
तुम जैसे भी हो वैसे ही मुझे अच्छे लगते हो
चलते - चलते सागर किनारे रेत के घर यूँ बनाया न करो
ये किरण लकीर सी चली, --जा बूँद में बनी इन्द्रधनुष ,
कल्पना कवि की साकार हुई, --जब धुला मन का कलुष ,
खुशियों के चमन खिल गये,------- आई जीवन में बहार !!!
देख लो !!! हर कोई ही चाहे आशाओं का इन्द्रधनुष !.... ''तनु ''
सोचो जो ये इन्द्रधनुष रंगों की इक रेखा होता ??
क्या इतने प्यार से फिर तुमने इसको देखा होता ??
धरा निहारते टिकी क्षितिज पर जब इठलाती चितवन ,
मिलना धरती अम्बर का ऐसा कहीं देखा होता ??.... ''तनु ''
लकीर का फ़कीर,…न होना तू कभी ,
हाथ की लकीर में. न खोना तू कभी ,
पुरुषार्थ ही जीवन का तू ध्येय रख.
आफतों में घिर कर न रोना तू कभी !!! ''तनु ''
अंजुमन में अज़ीम -ओ- अज़ीज़ हैं आये हुए
आँखों में काजल की रेखा ओ गेसू हैं लहराए हुए
दिल की राहें हैं अलग औ खूबसूरती एक तरफ
फैज़ बन कह दूँ मैं कुछ फ़ाज़िल भी हैं आये हुए
माथे पे लकीरें चहरे पर शिकन नहीं देखी
सदा कर्मठ रहे शरीर में थकन नहीं देखी
ऐसे हैं मेरे पिता और पिता के पिता भी
लक्ष्यहीन नहीं देखा कभी भटकन नही देखी
न आये तुम्हे कुछ तो कोई बात नहीं यूँ शरमाया न करो
किसी और की रचना को अपना कभी यूँ बनाया न करो
तुम जैसे भी हो वैसे ही मुझे अच्छे लगते हो
चलते - चलते सागर किनारे रेत के घर यूँ बनाया न करो
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