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Sunday, February 18, 2018

बसंत आया खुशियाँ लुटाने के लिए !

बसंत आया खुशियाँ लुटाने के लिए !
हँसने लगी वादियाँ   हँसाने के लिए !!

पतझड़ गया मुड़ के पीछे देखो न तुम !
खिलती रही कलियाँ साथ पाने के लिए !! 

प्रकृति के प्यार संग गा रही है धरती 
सुनाती कहानियाँ ,गुनगुनाने के लिए !!

खिल गये  है फूल और गा रहे भौंरे ! 
ये जिंदगानियाँ साथ निभाने के लिए !!

चलिए दो कदम साथ दिन है सुहाना !
छोड़िये  रुसवाइयाँ   फ़साने के लिए  !!... ''तनु''

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