बसंत आया खुशियाँ लुटाने के लिए !
हँसने लगी वादियाँ हँसाने के लिए !!
पतझड़ गया मुड़ के पीछे देखो न तुम !
खिलती रही कलियाँ साथ पाने के लिए !!
प्रकृति के प्यार संग गा रही है धरती
सुनाती कहानियाँ ,गुनगुनाने के लिए !!
खिल गये है फूल और गा रहे भौंरे !
ये जिंदगानियाँ साथ निभाने के लिए !!
चलिए दो कदम साथ दिन है सुहाना !
छोड़िये रुसवाइयाँ फ़साने के लिए !!... ''तनु''
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