कलियाँ खिली विहँस विहँस कर, बसंत लाया रंग री ;
महुआ लहराया महक कर, मनवा रहे उमंग री !
जाग उठी चिड़िया चहक कर , गाये कोयल संग री , ,,,
फागुन चढ़ा हुलस हुलस कर , झूम रहा उद्दंड री !!
भाल कुमकुम मुख गुलाल कर , मना रहे आनंद री ;
गोप -गोपी ,बाल -ग्वाल सब, ढोल बजावै चंग री !
फगुनिया संग पल्लव पवन , उलझे नंग धडंग री , ,,,
देख लो ऐसा विहान अब ? इस पूरब के अंग री !!
गूँज रहे हैं अलि कमलदल , ज्यौं देव रहे पंच री ;
उड़ी धवल पाँत बगलन नभ, मन धोय रहे पंक री !
फूल तितलियाँ पंख मलमल , नैनन देखे दंग री , ,,
ज्यों लेखनिका रंक मसि बिन , ना रस जिव्हा पंग री !!... ''तनु ''
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