Labels

Tuesday, February 20, 2018

ना रस जिव्हा पंग री !!


  कलियाँ खिली विहँस विहँस कर, बसंत लाया रंग री ;
  महुआ लहराया महक कर,        मनवा रहे  उमंग री !
  जाग उठी चिड़िया चहक कर ,    गाये कोयल संग री , ,,,  
  फागुन चढ़ा हुलस हुलस कर ,       झूम रहा उद्दंड री !!

  भाल कुमकुम मुख गुलाल कर ,     मना रहे आनंद री ;
   गोप -गोपी ,बाल -ग्वाल सब,        ढोल बजावै  चंग री !
   फगुनिया  संग पल्लव पवन ,        उलझे नंग धडंग री , ,,,
   देख लो ऐसा विहान अब ?          इस पूरब के अंग री !!

   गूँज रहे हैं अलि कमलदल ,        ज्यौं देव रहे पंच री ;  
   उड़ी धवल पाँत बगलन नभ,     मन धोय रहे पंक री !   
   फूल तितलियाँ पंख मलमल ,        नैनन देखे दंग री , ,,
   ज्यों लेखनिका रंक मसि बिन , ना रस जिव्हा पंग री !!... ''तनु ''

No comments:

Post a Comment